तुम जैसा मैं भी बन जाऊं

 तुम जैसा मैं भी बन जाऊं

तर्ज चांद सी मह्बूबा...

तुम जैसा मैं भी बन जाऊंऐसा मैंने सोचा है,

तुम जैसी समता पा जाऊंऐसा मैंने सोचा है ।

 

भव वन में भटक रहा भगवनऐसी चिन्मूरत न पाई है।

तेरे दर्शन से निज दर्शन की,सुधि अपने आपही आई है।

शांति प्रदाता मंगलदातामुश्किल से मैंने खोजा है,

तुम जैसी समता पा जाऊं.... ।१।

 

कितनी प्रतिकूल परिस्थिति में,मुझको वैराग्य न आता है

संसार असार नहीं लगतामन राग रंग में जाता है।

विषय वासना की जड गहरीकाटो नाथ भरोसा है,

तुम जैसी समता पा जाऊं....।२।

 

हे जिनधर्म के प्रेमी सुन लोकह गये कुंद कुंद स्वामी ।

भव सागर से तिरने में फ़िरकल्याणी माँ श्री जिनवाणी |

रूप तुम्हारा सबसे न्याराकरना सिर्फ़ भरॊसा है,

तुम जैसी समता पा जाऊं....।३।

 

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