मनहर तेरी मूरतिया

 मनहर तेरी मूरतिया

मनहर तेरी मूरतियांमस्त हुआ मन मेरा।

तेरा दर्श पायापायातेरा दर्श पाया॥

 

प्यारा प्यारा सिंहासन अति भा रहाभा रहा।

उस पर रूप अनूप तिहाराछा रहाछा रहा।

पद्मासन अति सोहे रेनयना उमगे हैं मेरे।

चित्त ललचायापाया। तेरा दर्श पाया..

 

तव भक्ति से भव के दुख मिट जाते हैंजाते हैं।

पापी तक भी भव सागर तिर जाते हैंतिर जाते हैं।

शिव पद वह ही पाये रेशरणा आगत में तेरी।

जो जीव आयापाया। तेरा दर्श पाया..

 

सांच कहूं कोइ निधि मुझको मिल गयी,मिल गयी।

जिसको पाकर मन की कलियां खिल गयी,खिल गयी।

आशा पूरी होगी रेआश लगा के वृद्धि,

तेरे द्वार आयापाया। तेरा दर्श पाया..

 

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