देखो जी आदीश्वर स्वामी

 देखो जी आदीश्वर स्वामी

देखो जी आदीश्वर स्वामी कैसा ध्यान लगाया है ।

कर ऊपरि कर सुभग विराजैआसन थिर ठहराया है ।।

 

जगत-विभूति भूतिसम तजकरनिजानन्द पद ध्याया है।

सुरभित श्वासाआशा वासानासादृष्टि सुहाया है ।।

 

कंचन वरन चलै मन रंच नसुरगिर ज्यों थिर थाया है।

जास पास अहि मोर मृगी हरिजातिविरोध नसाया है।।

 

शुध उपयोग हुताशन में जिन,वसुविधि समिध जलाया है|

श्यामलि अलकावलि शिर सोहैमानों धुआँ उड़ाया है ।।

 

जीवन-मरन अलाभ-लाभ जिनतृन-मनिको सम भाया है|

सुर नर नाग नमहिं पद जाकै, `दौलतास जस गाया है।।

 

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