ओ जगत के शान्तिदाता

 ओ जगत के शान्तिदाता

तर्जओ बसंती पवन पागल...

ओ जगत के शान्तिदाताशान्ति जिनेश्वर,

जय हो तेरी॥टेक॥

 

मोह माया में फ़ंसातुझको भी पहिचाना नही।

ज्ञान है ना ध्यान दिल में धर्म को जाना नहीं।

दो सहारामुक्तिदाताशान्ति जिनेश्वरजय हो तेरी.....

 

बनके सेवक हम खडे हैंआज तेरे द्वार पे।

हो कृपा जिनवर तो बेडापार हो संसार से।

तेरे गुण स्वामी मैं गाताशान्ति जिनेश्वरजय हो तेरी.....

 

किसको मैं अपना कहूंकोई नजर आता नहीं।

इस जहां में आप बिन कोई भी मन भाता नहीं।

तुम ही हो त्रिभुवन विधाताशान्ति जिनेश्वरजय हो तेरी...

 

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