प्रभु जी अब ना भटकेंगे

 प्रभु जी अब ना भटकेंगे

प्रभु जी अब ना भटकेंगे संसार में,

अब अपनी खबर हमें हो गयी ॥

 

भूल रहे थे निज वैभव कोपर को अपना माना ।

विष सम पंचेंद्रिय विषयों मेंही सुख हमने जाना ।

पर से भिन्न लखूं निज चेतन... मुक्ति निश्चित होगी ।१।

 

महा पुण्य से हे जिनवर अबतेरा दर्शन पाया ।

शुद्ध अतीन्द्रिय आनंद रस पीने को,चित्त ललचाया ।

निर्विकल्प निज अनुभूति से... मुक्ति निश्चित होगी ।२।

 

निज को ही जाने पहिचानेनिज में ही रम जाये ।

द्रव्य भाव नोकर्म रहित होशाश्वत शिवपद पाये ।

रत्नत्रय निधियां प्रगटाएं... मुक्ति निश्चित होगी ।३।

 

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